सच्ची कोमलता चुप्पी है
और इसे कुछ और नहीं माना जा सकता है
व्यर्थ ही उद्दाम इच्छा से तुम
ढक रहे हो मेरे कंधों को फर से;
व्यर्थ में तुम कोशिश करते हो
पहले प्यार की खूबियों पर यकीन दिलाने की
अर्थ जानती हूँ मगर मैं अच्छी तरह
तुम्हारी निरंतर जलती निगाहों का